नवरोज़ उत्सव : एक सुंदर परंपरा का परिचय

नवरोज़ (Nowruz) एक प्राचीन त्योहार हैं जो ईरान, अफगानिस्तान, अज़रबैजान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और अन्य मध्य एशियाई देशों में मनाया जाता हैं। यह त्योहार वसंत के आगमन के साथ 20 या 21 मार्च को मनाया जाता हैं। भारत में इसे पारसी समुदाय लोग बड़े उत्साह से मनाते हैं।

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1. नवरोज़ का अर्थ और महत्व

नवरोज़ दो फ़ारसी शब्दों से मिलकर बना हैं:

  • “नव” (नया)
  • “रोज़” (दिन)


इसका मतलब होता है “नया दिन” जो कि नए साल की शुरुआत को दर्शाता हैं। जब सूर्य विषुवत रेखा को पार करता हैं और दिन और रात बराबर होते हैं तब नवरोज़ का आगमन होता हैं। नवरोज़ का उत्सव कई दिनों तक चलता हैं और इसमें कई रीति-रिवाज और परंपराएं शामिल होती हैं। यह ज़ोरास्ट्रियन धर्म के अनुयायियों और फारसी सभ्यता से जुड़े लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण पर्व हैं।

2. नवरोज़ की तैयारी (मनाने से पहले क्या किया जाता हैं?)

नवरोज़ आने से पहले लोग अपने घरों की अच्छी तरह से सफाई करते हैं। इसे “ख़ाने तकानी” कहा जाता हैं, जिसका अर्थ है “घर की सफाई”। यह इस विश्वास के साथ किया जाता हैं कि नया साल खुशहाली और शुद्धता लेकर आएगा।

  • पुराने और बेकार सामान हटा दिए जाते हैं।
  • घर को अच्छे से सजाया जाता हैं।
  • नए कपड़े खरीदे जाते हैं।
  • पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं।

3. “हफ़्त-सीन” सजाना

नवरोज़ के मौके पर हर घर में “हफ़्त-सीन” नामक एक विशेष मेज़ सजाई जाती हैं।

हफ़्त-सीन का मतलब होता हैं “सात चीजें जो ‘स’ से शुरू होती हैं और ये निम्नलिखित होती हैं—

  1. सब्ज़ेह (अंकुरित अनाज) – हरियाली और जीवन का प्रतीक।
  2. सीब (सेब) – सेहत और सौंदर्य का प्रतीक।
  3. सिरका – धैर्य और बुद्धिमत्ता दर्शाता है।
  4. सुमाक (एक प्रकार का मसाला) – सूर्योदय और शक्ति का प्रतीक।
  5. सेनजद (जूनिपर बेरी) – प्रेम और परिवार की निशानी।
  6. सिर (लहसुन) – सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए।
  7. समनू (मिठाई) – समृद्धि और शक्ति का प्रतीक।
  8. इसके अलावा, हफ़्त-सीन की मेज पर एक दर्पण, मोमबत्तियाँ, सोने की मछली, पेंट किए गए अंडे और धार्मिक पुस्तकें भी रखी जाती हैं।
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4. नवरोज़ के दिन कैसे मनाया जाता हैं?

(i) सूरज निकलने से पहले स्नान
लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। यह शुद्धि और नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक होता हैं।

(ii) बड़ों का आशीर्वाद लेना
परिवार के छोटे सदस्य अपने बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं और उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।

(iii) विशेष पूजा और दुआएँ
ज़ोरास्ट्रियन धर्म में नवरोज़ के दिन अग्नि मंदिर में जाकर प्रार्थना की जाती हैं। लोग घर में भी दुआएँ करते हैं और अच्छे भविष्य की कामना करते हैं।

(iv) हफ़्त-सीन मेज़ के पास बैठना
परिवार के सभी सदस्य हफ़्त-सीन मेज़ के चारों ओर बैठकर त्योहार का आनंद लेते हैं। इस दौरान कहानियाँ सुनाई जाती हैं और खास पारसी व्यंजन खाए जाते हैं।

(v) स्वादिष्ट भोजन का आनंद
इस दिन विशेष पारसी व्यंजन बनाए जाते हैं जैसे—

  • बिरयानी
  • फिरनी
  • सब्ज़ पुलाव
  • मीठा सेवइयाँ

लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और नाच-गाने का आयोजन भी होता हैं।

5. आतिशबाजी और उत्सव

नवरोज़ के दिन शाम को आतिशबाजी की जाती है और लोग खुशी मनाते हैं। संगीत और नृत्य का आयोजन किया जाता हैं। लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं।

6. सिज्दह बेदार (नवरोज़ का अंतिम दिन)

नवरोज़ का उत्सव कुल 13 दिन तक चलता हैं। 13वें दिन को “सिज्दह बेदार” कहा जाता है, जिसका मतलब होता हैं “प्राकृतिक वातावरण में दिन बिताना”। इस दिन लोग पिकनिक मनाने बाहर जाते हैं, झीलों या बगीचों में समय बिताते हैं और प्रकृति का आनंद लेते हैं। हफ्त सिन की सब्ज़ा (अंकुरित अनाज) को पानी में बहा दिया जाता हैं। यह बुरी किस्मत को दूर करने और नई शुरुआत का प्रतीक हैं।

7. दान और परोपकार

नवरोज़ के दौरान लोग दान करने और गरीबों की मदद करने पर जोर देते हैं। यह माना जाता है कि दान करने से आशीर्वाद मिलता है और नए साल में समृद्धि आती हैं।

नवरोज़ एक ऐसा त्योहार हैं जो नई शुरुआत, प्रकृति और परिवार के महत्व को दर्शाता हैं। यह उत्सव खुशी, एकता और आशा का संदेश देता हैं। नवरोज़ के जरिए लोग नए साल का स्वागत करते हैं और पुरानी बुराइयों को दूर करने की कोशिश करते हैं। यह त्योहार सभी को प्रेरणा देता है कि वे अपने जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह के साथ आगे बढ़ें।

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